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सोच
कहते है इन्सान पर सबसे ज़्यादा असर उसी की सोच का होता है। सोच चाहे तो किसी को बहुत आगे ले जाए या फिर किसी की बिलकुल पिछड़ा हुआ बना दे। हमारी सोच हमारे व्यक्तित्व का एक एहम हिस्सा है। किसी भी रिश्ते में दो लोगों की सोच एक जैसी नहीं होती, ऐसा बिलकुल भी ज़रूरी नहीं है, चाहे वह भाई-बहन का रिश्ता हो, माँ-बेटी का या पति पत्नी का। हम सभी अलग अलग सोच रखते है। किस काम को कैसे करना है, उसका भी हम सब के पास अलग – अलग तरीका होता है। हमारी सोच से हम भी प्रभावित होते है और दुसरे भी। हमारी सोच से ही जीवन के बहुत सारे रास्ते खुल जाते है और हमारी सोच के प्रभाव से ही बहुत सारी परेशानियां भी हल हो जाती है। सोच ही हमारे जीवन को सही दिशा देती है इसीलिए यह बहुत ज़रूरी है कि सोच सही हो मन में जो भी व्यर्थ के विचार है वह हम निकाल दे, इससे हमारा मन भी शांत रहेगा और हम खुश भी रह सकेंगे।
अपनी सोच को और बेहतर कैसे बनाये-
१. लोगों से बात करके उनके अच्छे गुण अपनाये।
२ अपनी पसंद का कोई भी काम कीजिये जिससे आपको ख़ुशी मिले।
३ रोज़ रात सोने से पहले एक बार यह ज़रूर सोचे की आज आपने क्या नया सीखा
४ खुल कर हँसे।
५ अगर हो सके तो थोड़ा समय निकालकर अपने पसंद की किताबें पढ़े।
बड़ी या छोटी यह हमारी सोच है,
कौन अपना है और कौन पराया,
यह हमारी सोच है,
कितना दूर हमे जाना है,
और कहा हमें रुक जाना है,
किसे क्या सीखना और क्या सिखाना है,
यह हमारी सोच है,
मुश्किलो को देखकर रुक जाना है
या हिम्मत से आगे बढ़ जाना है,
यह हमारी सोच है,
हारना है या जीतना है,
कुछ करना है या चुप रहना है,
यह हमारी सोच है,
हस्ते-हस्ते जीना है या
रोते-रोते मर जाना है,
गम के आगे झुकना है,
या गम को पीछे छोड़ आगे बढ़ना है
जीत और हार की बस यही सोच ही तो है,
कैसे अपने नज़रिये को बदलना है,
यह हमारी सोच है,
खुल के जीना है,
मुस्कुराके रहना है,
यह हमारी सोच है।
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